सनातन धर्म क्या है?
हिंदू धर्म पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। इसमें चार युगों के बारे में बताया गया है और अभी आखिरी युग, कलियुग चल रहा है। कुछ मान्यताओं के अनुसार हिन्दू धर्म में सबसे पहले 9057 ईसा पूर्व स्वयंभुव मनु हुए, 6673 ईसा पूर्व में वैवस्वत मनु हुए। अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व और श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व बताया जाता हैं। पौराणिक कथाओं के आधार पर हिंदू धर्म 90 हजार वर्ष पुराना है। यह धर्म, ज्ञात रूप से लगभग 12000 वर्ष पुराना माना जाता है।
भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। सनातन धर्म को हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। धर्म के भीतर कई मान्यताएँ और दर्शन जुड़ते हैं इसलिए इसके अलग-अलग वर्णन हैं जैसे "धर्मों का परिवार" या जीवन का तरीका। हिंदू धर्म एक विविध धर्म है जिसका कई प्रसिद्ध दार्शनिकों, ब्रह्मांड विज्ञानियों, ज्योतिषियों, खगोलविदों और इतिहासकारों द्वारा गहन और शोध किया गया है। उनका कहना है कि यह सबसे पुराना धर्म है।
पुराणों में यह भी बताया गया है कि कलियुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में दूसरा अवतार लेंगे और धर्म की फिर से स्थापना करेंगे। संसार में जब-जब अत्याचार और दुराचार बढ़ा है उसे समाप्त करने और संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अवतार लिए हैं।
कथाओं में भगवान विष्णु के दस अवतारों के बारे में बताया जाता है, जिसमें कल्कि दसवां और अंतिम अवतार है। तब फिर से नए सत्ययुग की शुरुआत होगी। कलियुग में जब पाप चरम पर पहुंच जाएगा तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर पापियों का नाश करेंगे और दुनिया में फिर से भय-आतंक खत्म होगा और सतयुग की स्थापना होगी।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार युग का अर्थ है समय की एक निश्चित अवधि। वेदों के अनुसार हिंदू धर्म में चार युग सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के बारे में बताया गया है। इन चारों युगों के योग को देवयुग या चतुर्युग कहा जाता है। कृत युग को सत्य युग भी कहा जाता है। एक युग हजारों वर्षों का काल होता है।
प्रथम युग यानी सत्ययुग को मनुष्य के लिए आदर्श माना जाता है। न कोई रोग था, न शोक, न पीड़ा। धर्मग्रंथों में कलियुग में धर्म का लोप, बुराईयों और कुरीतियों का बढ़ना आदि जैसे काम बताए गए हैं। जब कोई भी युग, एक युग से दूसरे युग तक बढ़ता है तो यह धर्म का एक स्तंभ खो देता है।
हर स्तम्भ के गिरने से अत्याचार, दुःख, अधर्म और रोग बढ़ते जायेंगे। यही वजह है कि कलियुग को सबसे भयानक और निराशाजनक युग माना जाता है। जैसे-जैसे कलियुग का समय बीतता जाएगा घोर कलियुग आता जाएगा। कलियुग वर्तमान समय का युग है जिसमें हम वर्तमान में रह रहे हैं, और शास्त्रों और वेदों में कहा गया है कि कलियुग संघर्षों और पापों से भरा है। मनुष्य का औसत जीवन काल 100 वर्ष है।
इस कलियुग में अच्छे कर्म करने वालों को देवता तुल्य माना जाता है और बुराई एवं पापियों की तुलना राक्षस से की जाती है। भगवान राम का काल त्रेतायुग का था और श्रीकृष्ण द्वापरयुग में जन्मे थे। मान्यताओं के अनुसार सनातन हिंदू धर्म से पहले किसी भी धर्म का प्रमाण नहीं मिला है।
कैसे मिला हिंदू नाम ?
दरअसल हिंदू नाम विदेशियों द्वारा दिया गया नाम है। जब मध्य काल में तुर्क और ईरानी भारत आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया। सिंधु एक संस्कृत नाम है। उनकी भाषा में 'स' शब्द न होने के कारण उन्होंने सिंधू शब्द की जगह हिंदू कहना शुरू किया। फिर इस तरह से सिंधु का नाम हिंदू पड़ गया और उन्होंने यहां के लोगों को हिंदू कहना शुरू कर दिया और तब हिंदुओं के देश का नाम हिंदुस्तान पड़ा।
हिंदू विभिन्न देवताओं का पालन करते हैं, कई लोग मानते हैं कि ये तीन देवताओं की अभिव्यक्तियाँ हैं। जिन्हें त्रिमूर्ति, तीन रूप भी कहा जाता है- ब्रह्मा, विष्णु और शिव। ब्रह्मा ब्रह्मांड के निर्माण के देवता हैं, भगवान विष्णु ही इसकी पालना करते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं। वहीं भगवान शिव ब्रह्मांड और उसके पदार्थ के जन्म और मृत्यु को सहन करने वाले हैं।
सनातन धर्म को लेकर समय-समय पर अक्सर बहस छिड़ती है और कोई न कोई मुद्दा इस विषय पर चलता रहता है। आम आदमी से लेकर राजनीतिक गलियारों में भी इस विषय पर चर्चा होती रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनातन का असली मतलब क्या है, इसकी उत्पत्ति कब हुई थी और धर्म-ग्रंथों में सनातन धर्म को लेकर किस तरह की बातें दर्ज हैं? चलिए आज विस्तारपूर्वक जानते हैं कि आखिर क्या है सनातन धर्म ?
क्या और कैसा है सनातन धर्म ?
"सनातन” शब्द का प्रयोग पहली बार भगवद् गीता में किया गया था और यह आत्मा के ज्ञान को प्रदर्शित करता है, जो शाश्वत है। 'सनातन' शब्द की जड़ें संस्कृत में हैं जिसका अनुवाद "शाश्वत", "प्राचीन", "आदरणीय" या "अटल" है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस तरह देखा जाये तो सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और अनेक धर्म इससे निकले हैं। इस समय सनातन धर्म को मानने वाले लोग दुनिया के हर हिस्से में मौजूद हैं।
मनुष्य का ईश्वर के साथ प्रेममय और समर्पण युक्त सम्बन्ध जो कभी किसी पुराने नियम या नए नियम या आखिरी नियम से बंध कर नहीं बल्कि प्रेम की गहराई पर टिका होता है।
इसलिए इसे पुरातन या नूतन नहीं कहते बल्कि सनातन या शाश्वत या फिर हमेशा रहने वाला कहते हैं। लोकप्रिय हिंदू मान्यताओं के अनुसार 'सनातन धर्म' (Sanatana Dharma) एक ऐसा धर्म है जो अनादि काल से अस्तित्व में है।
इस तरह देखा देखा जाये तो सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और अनेक धर्म इससे निकले हैं। इस समय सनातन धर्म को मानने वाले लोग दुनिया के हर हिस्से में मौजूद हैं।
वे लोग अपनी संस्कृति का न केवल प्रसार कर रहे हैं बल्कि जड़ों से जुड़े भी हुए हैं। विश्व के हर पंथ की जो भी खूबसूरत और बेहतरीन शिक्षाएं किसी भी रूप में हैं, वह सनातन का ही अंश है। सनातन धर्म मतलब जो शुद्ध है, सबके लिए है और साथ ही सबके लिए समान रूप से लाभदायी है।
जो सदा से है, जिस धर्म से सब धारण किया गया है, वही तो सनातन है। सनातन धर्म उन मूल्यों, विश्वासों और प्रणालियों को संदर्भित करता है जिन पर जीवन और ब्रह्मांड स्वयं खड़ा है। "सनातन धर्म" का अर्थ "शाश्वत धर्म" से है, जो ब्रह्मांड का अपरिवर्तनीय क्रम है।
उत्तर रामचरितम में दर्ज है कि - ‘शाश्वतम् दृढ़, स्थिरम्, एष धर्मः सनातनः’ अर्थात जो शाश्वत हो, जो दृढ़ स्थिर हो, जो निरंतर हो, जो आदि अंत रहित हो, वही सनातन है।
सनातन धर्म की उत्पति
सनातन यानि जिसका कोई अंत नहीं, जिसका कोई आदि नहीं। इसलिए सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई, इस बात पर टिप्पणी करना ही बेमानी है। इस पर सवाल उठाना ही अज्ञानता की निशानी है।
जो लोग इस पर सवाल करते हैं उन सबको एक बार सनातन धर्म के बारे में पढ़ना चाहिए और इसके बारे में जानना चाहिए। यह अकेला धर्म है, जो सबकी भलाई की बात करता है। सनातन धर्म किसी एक लेखक या किसी ऋषि के विचारों की बस उपज भर नहीं है बल्कि यह तो अनादि काल से अनवरत प्रवाहमान और विकासमान रहा है।
विश्व के सभी धर्मों से सबसे पुराना सनातन धर्म है। हमारे धर्म ग्रंथ वेद, पुराण, उपनिषद, श्रीमद्भगवद गीता, श्रीरामचरितमानस (Vedas, Puranas, Upanishads, Srimad Bhagavad Geeta, Sri Ramcharitmanas) सब अलग-अलग समय में लिखे गए। महंत श्री पारस भाई जी (पारस परिवार) का कहना है कि यह वेदों पर आधारित धर्म है और वेद पर आधारित यह दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। ये सब हमारे आधार ग्रंथ हैं। ये वेदों पर आधारित धर्म है और वेद पर आधारित यह दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है।
जिस तरह राम और कृष्ण का जन्म अलग-अलग युग में हुआ और सब जानते हैं कि उनका जीवन एक आदर्श जीवन है जिससे लोग प्रेरणा लेते हैं। एक ओर उन्होंने दुष्टों का विनाश किया तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने बताया कि सत्य की हमेशा जीत होती है। यही सनातन है और यही सच है।
ये धर्म कितना पुराना है, तो इसे लेकर भी अलग-अलग सवाल उठते हैं। ये धर्म करीब 12 हजार साल पुराना और कुछ मान्यताओं के मुताबिक 90 हजार साल पुराना भी बताया जाता है। सनातन धर्म को दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में सभी जानते हैं। "धारयेति धर्मः" अर्थात जो धारण किया जाए, वही धर्म है।
जो अनादि काल से श्रुति, स्मृतियों, वेद, पुराण आदि के माध्यम से हमारे बीच उपलब्ध है यही सनातन है। सूर्य सिद्धांत के अनुसार सनातन धर्म अरबों वर्ष पुराना है। सनातन धर्म में ग्रह-नक्षत्र भी समाए हुए हैं। सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहा जाता है। भारत की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं।
गीता में भी सनातन धर्म का वर्णन मिलता है, श्री कृष्ण कहते हैं- अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च।
नित्य: सर्वगत: स्थाणुरचलोऽयं सनातन:।।
यानि हे अर्जुन! जो छेदा नहीं जाता, जलाया नहीं जाता, जो सूखता नहीं, जो गीला नहीं होता, जो स्थान नहीं बदलता, ऐसे रहस्यमय व सात्विक गुण तो केवल परमात्मा में ही होते हैं। जो सत्ता इन दैवीय गुणों से परिपूर्ण हो। वही सनातन कहलाने के योग्य है यानि ईश्वर को ही सनातन कहा गया है।
क्या कभी मिटाया जा सकता है सनातन?
महंत श्री पारस भाई जी ने सनातन धर्म के बारे में कहा कि सनातन धर्म वह है जिसके पालन से आज भी मनुष्य और समाज का कल्याण होता है और आगे मरने के बाद भी सद्गति और कल्याण अवश्य होता है। सनातन धर्म के बारे में हम यह बात कह सकते हैं कि जिसे मिटा देने की चाहत है, वह मिट कर भी अमिट है और वह नष्ट भी हो जाए तो भी वह नष्ट नहीं होता है। ऐसा है हमारा सनातन धर्म।
सनातन धर्म वह है जिसके पालन से आज भी मनुष्य और समाज का कल्याण होता है और आगे मरने के बाद भी सद्गति और कल्याण अवश्य होता है। सनातन धर्म में “ॐ” को बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। ॐ का उच्चारण अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारिक लाभ पहुंचाने वाला माना गया है। सनातन धर्म इतना शुद्ध है कि इसमें कल्याण के सिवाय कुछ और है ही नहीं। धर्म का अर्थ होता है सही काम करना या अपने कर्तव्य पथ पर चलना। धर्म को नियम भी कहा जा सकता है।
सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, दान, जप, तप आदि हैं जिनका अपना शाश्वत महत्व है। सनातन कभी किसी धर्म की आलोचना नहीं करता। महंत श्री पारस भाई जी आगे कहते हैं कि सनातन कभी किसी धर्म की आलोचना नहीं करता। वह सबमें समाया हुआ है। सत्य सनातन है, ईश्वर ही सत्य है, आत्मा ही सत्य है, मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म है।
इसलिए इसे मिटा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है और यदि कोई इस धर्म को समाप्त करने के बारे में सिर्फ सोचता भी है तो यह उसकी अपनी अज्ञानता कही जायेगी। अब सनातन को मिटा लेना इतना सरल नहीं क्योंकि बनना, बनके बिगड़ना और बिगड़ के फिर बन जाना, यह भी तो सनातनी धारणा ही है।
सनातन धर्म और विज्ञान
विज्ञान (Science) जब किसी भी वस्तु, विचार और तत्व का मूल्यांकन करता है तो इस प्रक्रिया में अनेक विश्वास और सिद्धांत क्षण भर में धराशायी हो जाते हैं। लेकिन सनातन धर्म की बात करें तो विज्ञान भी सनातन के सत्य को जानने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है।
हाँ ये बात अलग है कि वेदांत में लिखित सनातन सत्य का जो वर्णन किया गया है विज्ञान भी धीरे-धीरे उससे सहमत हो रहा है। सनातन धर्म को आज तक कोई भी गलत नही मान पाया है। इसका सिर्फ और सिर्फ एक कारण है इसमें लिखी हुई बातें जो कि शत- प्रतिशत सत्य हैं। आज वैज्ञानिकों का भी कहना है कि पूरे विश्व में सनातन हिंदू धर्म ही विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो विज्ञान पर आधारित है।
भारतीय जीवन शैली और सनातन धर्म की परंपराएं पूरी तरह विज्ञान पर आधारित हैं। इसमें पाखंड का कोई भी स्थान नहीं है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मनुष्य को विज्ञान से जोड़ने के लिए, विज्ञान को धर्म से जोड़ा। धर्म में ऐसी कई बातें ऋषि-मुनियों ने बताई जो मनुष्य के लिए हितकारी थी क्योंकि उन बातों में विज्ञान था।
हमारे ऋषि-मुनियों ने भारतीय जलवायु के आधार पर धार्मिक परंपराएं बनाई, जैसे ब्रह्म मुहूर्त में उठने का विधान है और इस समय को लाभदायी माना जाता है। क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में ओजोन गैस नीचे होती है और जितना शरीर के लिए भोजन आवश्यक है, उतनी ही ओजोन गैस भी आवश्यक है।
दरअसल ब्रह्म मुहूर्त के बाद ये ऊपर चली जाती है। इसके बाद दूसरी बात यह कि स्नान करके सूर्य पर जल चढ़ाने का विधान है। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है और कारण यह है कि प्रातः काल सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें जल में से परावर्तित होकर त्वचा पर पड़ती हैं और आपके शरीर को विटामिन डी मिलता है।
इसके अलावा दोनों हथेलियों को जोड़कर, दूसरों को नमस्ते करना। हमारे धर्म में ऐसा करके हम सामने वाले को, आदर व सत्कार देते हैं। विज्ञान के अनुसार देखा जाये तो हाथ जोड़ते समय हमारी उंगलियों के टिप्स भी आपस में जुड़ जाते हैं।
जिससे प्रेशर बनता है। यानि उंगलियों के यह टिप्स, एक्यूप्रेशर पॉइंट्स (Acupressure points) की तरह होते हैं और जब इन्हें प्रेस किया जाता है तो तब इस दवाब का असर, हमारे कान, आंख और दिमाग पर पड़ता है।
ऐसे ही अनेकों कारण आपको मिल जायेंगे जिससे आपको यह पता चलता है कि सनातन धर्म विज्ञान पर आधारित है। मनुष्य की हर जिज्ञासा का समाधान जिसके पास हो ऐसा है ये हमारा पवित्र सनातन धर्म।अंत में महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि मनुष्य की हर जिज्ञासा का समाधान जिसके पास हो ऐसा है यह हमारा पवित्र सनातन धर्म।
“सन् ज्ञानम् तनोति विस्तार यति इति सनातन:” अर्थात, जो शाश्वत, चिर-स्थाई, निरंतर ज्ञान का विस्तार करे, वही सनातन है।