सनातन धर्म में कितने देवी-देवता हैं?
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक आधार पर आधारित धर्म भी है। माँ आदिशक्ति की अनंत शक्ति के उपासक महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि हिंदू धर्म उपासक अपनी श्रद्धा और भक्ति में सराबोर होकर अपने इष्ट देवी-देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। उनकी पूजा से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती हैं और उनका कल्याण होता है। सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक आधार पर आधारित धर्म भी है। सनातन धर्म में देवी देवता कौन-कौन से हैं और कितने हैं ? आपने अक्सर सुना होगा कि सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं या फिर आपने यह भी सुना होगा कि सनातन धर्म में 33 कोटि देवी देवता हैं। आखिर क्या है सच्चाई, 33 करोड़ या फिर 33 कोटि देवता ? चलिये जानते हैं कि हिंदू धर्म में देवी देवताओं की कुल संख्या कितनी है ?
हर किसी के मन में यह प्रश्न जरूर उठता है कि देवी देवता, 33 प्रकार के या 33 करोड़ ? लोग अक्सर यह सोचते हैं कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं, लेकिन यह सच नहीं है। शास्त्रों में या वेदों में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि देवी-देवताओं की संख्या 33 करोड़ है।
कोटि के प्रायः दो अर्थ हैं एक “प्रकार” और दूसरा “करोड़” और इस तरह लोगों ने उसे हिंदी में करोड़ पढ़ना शुरू कर दिया जबकि 33 कोटि का मतलब 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है। दरअसल हमारे धर्मग्रंथो मे 33 कोटि-देवताओ का वर्णन है और शायद यही वजह है कि हम “33 कोटि” देवताओं को “33 करोड़” देवता कहते हैं।
‘33 कोटि’ देवताओं को 4 श्रेणियों मे बांटा गया है जो कि निम्न हैं -
1- वसु
2- आदित्य
3- रूद्र
4- अश्विनीकुमार
हिंदू धर्म में 33 कोटि देवताओं का योग
33 कोटि अर्थात इन देवताओं में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य और दो अश्विनीकुमार या प्रजापति। कुछ विद्वान अश्विनीकुमार के स्थान पर इंद्र और प्रजापति की गणना भी करते हैं।
33 कोटि देवता = 8 (वसु ) + 12 (आदित्य ) + 11 (रूद्र ) + 2 (अश्वनीकुमार )
12+8+11+2 = 33 कोटि देवी-देवता।
इस प्रकार देवों की संख्या 33 हो जाती है।
“महंत श्री पारस भाई जी” के अनुसार विश्व में सनातन धर्म की अपनी एक अनूठी पहचान है। इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि हम सब मिलकर सनातनी सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण करें और इसकी पहचान को सहेज कर रखें।